(ओमप्रकाश ‘सुमन’)
पलियाकलां(खीरी)जिला पंचायत बालिका इंटर कालेज में भारत के महान वैज्ञानिक डॉ जगदीश चन्द्र बसु की 165 वीं जयंती भव्यता के साथ मनायी गई।छात्राओं का मार्गदर्शन करते हुए प्रधानाचार्य कृष्ण अवतार भाटी ने कहा कि आत्मविश्वास व्यक्ति की सफलता का आधार स्तम्भ है।उन्नीसवीं शताब्दी में लंदन के अंदर अंतरराष्ट्रीय विज्ञान कांग्रेस में क्रेस्कोग्राफ के प्रदर्शन के समय डॉ बसु को गोरे वैज्ञानिकों ने नकली पोटेशियम सायनाइड का घोल दे दिया था।लेकिन बसु को अपने यंत्र पर पूरा भरोसा था।उनका आत्मविश्वास प्रबल था।उन्होंने वह घोल पी लिया।तब उन्हें असली घोल दिया गया।जिससे उन्होंने अपने यंत्र की प्रमाणिकता सिद्ध की।उन्होंने जीवविज्ञान,वनस्पति विज्ञान, भौतिकविज्ञान व पुरातत्व के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान दिया।पौधों में महसूस करने की शक्ति को बताने वाला क्रेस्कोग्राफ इन्ही की खोज थी।इन्होंने 1885 में रेडियो तरंगों द्वारा बेतार तार का प्रदर्शन किया था।लेकिन नोबल पुरस्कार मिला,दो वर्ष बाद इंग्लैंड के तत्कालीन प्रधानमंत्री एटली के दामाद मारकोनी को। क्योंकि उस समय भारतीय नेतृत्व अपने महान वैज्ञानिक की प्रतिभा के साथ न्याय नहीं कर सका।विद्यालय की नोडल अधिकारी आकृति गुप्ता ने कहा कि इन्होंने प्रेसीडेंसी कालेज में अध्यापन के दौरान तीन साल बिना वेतन के शिक्षण कार्य किया, क्योंकि इन्होंने गोरे शिक्षकों के मुकाबले तिहाई वेतन लेने से मना कर दिया।आखिर में अंग्रेजी शासन को झुकना पड़ा।तीन साल बाद इन्हें पूरा वेतन मिला।यह भारतीय उप महाद्वीप के महान वैज्ञानिक थे।विज्ञान शिक्षिका माया वर्मा ने कहा कि इन्हें रेडियो विज्ञान का पिता कहा जाता है।इन्होंने अपवर्तन,विववर्तन,धुर्वीकरण, लघुतरँग व पराबैंगनी विकरण पर ऐतिहासिक कार्य किया था।डॉ बसु वैश्विक वैज्ञानिक आभामंडल के ध्रुव तारे हैं।जो कभी अस्त नहीं होंगे।कार्यक्रम का सफल संचालन विज्ञान शिक्षिका कृतिका वर्मा ने किया।