(ओमप्रकाश ‘सुमन’)
पलियाकलां-खीरी आज विद्या भारती विद्यालय स्वदेश सरस्वती विद्या मन्दिर इण्टर कॉलेज महराजगञ्ज में गुरु नानक देव जी महाराज का 554 वां जन्मदिन एवं संविधान दिवस मनाया गया।
विद्यालय की वन्दना सभा में माँ सरस्वती एवं सिख पंथ के प्रवर्तक पूज्य गुरुनानक देव जी महाराज के चित्र पर मुख्य अतिथि राजित राम गुप्त उप जिलाधिकारी महाराजगञ्ज एवं विशिष्ट अतिथि श्याम प्रकाश वर्मा प्रतिष्ठित समाजसेवी व अधिवक्ता द्वारा पुष्पार्चन व मां की वन्दना के साथ कार्यक्रम का शुभारम्भ हुआ। विद्यालय की छात्रा बहन आर्या सिंह सप्तम व माही कक्षा दशम ने पूज्य गुरुनानक देव जी महाराज के जीवन पर प्रकाश डाला। संविधान के बारे में द्वादश की बहन रुचि ने कहा कि हमारे देश में 26 नवंबर को मनाया जाने वाला संविधान दिवस, भारत के संवैधानिक विकास की उल्लेखनीय यात्रा का एक मार्मिक प्रतीक है। कक्षा दशम की बहन नैनसी ने बताया कि आज का यह महत्वपूर्ण अवसर भारत के संविधान को अपनाने की याद दिलाता है, हमारा संविधान आज के दिन ही सन् 1949 में बनकर तैयार हुआ था। बहन गुड़िया ने भारतीय संविधान में प्राप्त अधिकारों व कर्तव्यों का स्मरण कराता एक सुन्दर गीत प्रस्तुत किया। विशिष्ट अतिथि श्याम प्रकाश वर्मा जी ने संविधान में प्रदत्त अधिकारों का व्याख्यान करते हुए कहा कि हमारा संविधान विश्व का सबसे बड़ा लिखित दस्तावेज है। जो हमे गणतंत्र राज्य होने को दर्शाता है ।
मुख्य अतिथि के रूप में राजित राम गुप्त उप जिलाधिकारी महाराजगञ्ज ने अपने उद्बोधन में पूज्य गुरु नानक देव जी की जयन्ती व संविधान दिवस पर सभी भैया बहनों व विद्यालय परिवार को शुभ कामनाएं देते हुए कहा कि हमारा संविधान हमारे समाज के सञ्चालन के लिए एक जिन्दा दस्तावेज है जो देश के लोकतांत्रिक मूल्यों और अनेक सांस्कृतिक लोकाचार को समाहित करता है। दूरदर्शी नेताओं के योगदान, मसौदा समिति की महत्वपूर्ण भूमिका और समावेशिता इस दिवस को महत्वपूर्ण बनाती है। इसकी स्थायी भावना को पहचानना जरूरी है जो भारत के लोकतांत्रिक आख्यान को आकार देती है।
कई असाधारण विशेषताओं वाला एक विशिष्ट दस्तावेज़, भारत का संविधान दुनिया के किसी भी सम्प्रभु राष्ट्र का सबसे लम्बा लिखित संविधान है। संविधान के मूल पाठ में 22 भागों और आठ अनुसूचियों में 395 अनुच्छेद शामिल थे। यह 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ, जिस दिन को भारत हर साल गणतंत्र दिवस के रूप में मनाता है। 100 संशोधनों के कारण बारह अनुसूची के साथ अनुच्छेदों की संख्या बढ़कर 448 हो गई है।
संविधान का निर्माण भारत की संविधान सभा द्वारा किया गया था, जिसे भारत के लोगों द्वारा चुने गए प्रांतीय विधानसभाओं के सदस्यों द्वारा स्थापित किया गया था। डॉ. सच्चिदानंद सिन्हा संविधान सभा के पहले अध्यक्ष थे। बाद में डॉ. राजेंद्र प्रसाद इसके अध्यक्ष चुने गये। इसकी मसौदा समिति के अध्यक्ष डॉ. भीमराव अंबेडकर को भारतीय संविधान का मुख्य वास्तुकार माना जाता है जिनकी वजह से संविधान को देश की अद्वितीय सामाजिक, सांस्कृतिक और धार्मिक विविधता को ध्यान में रखते हुए देश को मार्गदर्शन और शासन करने के लिए एक व्यापक और गतिशील ढांचा मिला।
भारतीय संविधान की नींव न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बन्धुत्व के स्तम्भों पर टिकी हुई है, ये सिद्धांत एक प्रगतिशील और समावेशी समाज की आधारशिला के रूप में कार्य करते हैं। संविधान में सामाजिक समानता और एकता के प्रति प्रतिबद्धता, पिछड़े हुए समुदायों के उत्थान और राष्ट्र निर्माण प्रक्रिया में उनकी सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए राष्ट्र के अटूट समर्पण को रेखांकित करती है। संविधान दिवस एक अधिक न्यायसंगत और न्यायपूर्ण समाज की ओर जाते वक्त इन संवैधानिक मूल्यों को बनाए रखने की अनिवार्यता की समय- समय पर याद दिलाने का काम करता है।
इस महत्वपूर्ण दिन पर, डॉ. भीमराव अंबेडकर, जवाहरलाल नेहरू, वल्लभभाई पटेल सहित अन्य दिग्गज नेताओं का उल्लेख करना महत्वपूर्ण है, जिन्होंने संविधान का मसौदा तैयार करने और उसे अपनाने में महत्व पूर्ण योगदान दिया। इन दिग्गज नेताओं के अलावा, संविधान सभा की एकमात्र दलित महिला सदस्य दाक्षणायनी वेलायुधन का योगदान, सर्वसमावेशी प्रतिनिधित्व के महत्व और पिछड़े हुए समुदायों की आवाज़ को बढ़ाने की आवश्यकता को दर्शाता है। उनके दूरदर्शी नेतृत्व और राष्ट्र के लोकतांत्रिक आदर्शों के प्रति अटूट प्रतिबद्धता ने एक मजबूत संविधान की नींव रखी।
भारत, जो अपनी सांस्कृतिक विविधता और सांप्रदाय समाज के लिए जाना जाता है, कई भाषाओं, धर्मों और परम्पराओं को अपनाता है। संविधान एक ढाल के रूप में कार्य करता है, प्रत्येक व्यक्ति के अधिकारों की रक्षा करता है, चाहे वह किसी भी जाती – समुदाय से हो। यह मौलिक अधिकारों का आश्वासन देता है और पिछड़े समुदायों के सशक्तिकरण को बढ़ावा देता है, जिससे राष्ट्र निर्माण प्रक्रिया में उनकी सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित होती है। सामाजिक रूप से वंचित समूहों के उत्थान के लिए सकारात्मक कार्रवाई और प्रावधानों के माध्यम से, संविधान सामाजिक न्याय और समावेशिता को बढ़ावा देते हुए एक समान अवसर बनाने का प्रयास करता है।
आज भारत संविधान दिवस मना रहा है, आइए हम संविधान में निहित लोकतांत्रिक आदर्शों और मूल्यों को बनाए रखने के लिए अपना समर्पण करें।
इसके बाद आदरणीय उपज़िलाधिकारी महाराजगञ्ज ने सभी भैया बहनों व आचार्य परिवार को संविधान की प्रस्तावना पढ़कर दोहरवाई। इसे सभी ने दायां हाथ आगे करके दोहराते हुए राष्ट्र के प्रति अपने समर्पण का संकल्प लिया।
उन्होंने कहा हम सभी संगठित रूप से कार्य करते हुए समावेशिता की संस्कृति को बढ़ावा देकर, अपने राष्ट्र के लोकतांत्रिक ताने-बाने को मजबूत कर सकते हैं और अधिक न्यायसंगत और समृद्ध भविष्य का मार्ग प्रशस्त कर सकते हैं। संविधान दिवस भारत की लोकतांत्रिक भावना को परिभाषित करने वाले लचीलेपन और एकता की एक शक्तिशाली अनुस्मारक के रूप में कार्य करता है, जो हम सभी के लिए एक अधिक न्यायपूर्ण और समावेशी समाज की दिशा में अपनी यात्रा जारी रखने का आग्रह करता है।
कार्यक्रम का सञ्चालन आदित्य मौर्य ने किया। परिचय प्रधानाचार्य वीरेन्द्र वर्मा ने कराया तथा अन्त में धन्यवाद ज्ञापन समिति के प्रतिनिधि के रूप में जय नारायण वर्मा ने किया।
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