(न्यूज़- राजीव गोयल)

पलियाकलां-खीरी विकासखंड बांकेगंज की ग्राम पंचायत ग्रंट नंबर 11 के देवीपुर गांव के वीर सपूत  सत्ताईस वर्षीय सूरज मिश्रा की बीमारी के कारण मौत के बाद गांव पहुँचे पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार सैनिक सम्मान के साथ किया गया। उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए गोला विधायक अमन गिरी तथा तमाम पूर्व सैनिक उनके घर पहुंचे। 

    ग्रंट नम्बर 11 के देवीपुर निवासी सूरज मिश्रा पुत्र विनोद मिश्रा का 2015 में सेना में चयन हो गया था। ट्रेनिंग समाप्त होने के बाद उसकी पोस्टिंग हो गई। सूरज मिश्रा के करीबी दोस्त आदित्य वर्मा ने बताया कि काफी दिन तक जम्मू कश्मीर में तैनात रहा। बीमार होने के कुछ महीने पहले ही इलाहाबाद में पोस्टिंग हुई। वहां मार्च माह में उसे बुखार आया। जिसकी उसने दवाई ली डॉक्टर ने उसे जांच कराने की बात कही। उसके बाद उसे लखनऊ के अस्पताल में भर्ती कराया गया। जहां डॉक्टरों ने किडनी में दिक्कत होने की बात कही। उसके बाद दिल्ली के आरआर सैनिक हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया। जहां 4 अगस्त को उनकी माता ने अपनी किडनी उसे डोनेट की। किडनी ट्रांसप्लांट होने के बाद वह लगभग ठीक सा हो गया था। 11 नवंबर को खून की उल्टियां हुई और उसके बाद उसकी मृत्यु हो गयी। मृत्यु की जानकारी मिलने के बाद गांव में दिवाली की खुशियां भी लोगों ने नहीं मनाई। 12 तारीख की रात करीब 12:45 पर सूरज मिश्रा का पार्थिव शरीर उनके गांव देवीपुर पहुंचा। 13 नवंबर को सुबह से ही आसपास के पूर्व सैनिक आने लगे। कई सैनिक भी उनके घर पहुंचे उसके बाद सेना की गाड़ी में सूरज मिश्रा के पार्थिव शरीर को लेकर गांव में चक्कर लगाया गया। जहां बड़ी संख्या में मौजूद युवाओं तथा सेना के जवान भारत माता की जय, वंदे मातरम तथा जब तक सूरज चांद रहेगा सूरज तेरा नाम रहेगा नारे लगाते रहे। उसके बाद घर के नजदीक स्थित खेत में पूरे सैनिक सम्मान के साथ गार्ड ऑफ ऑनर देते हुए पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार किया गया।  अंतिम संस्कार से पूर्व पूर्व सैनिकों ने सूरज मिश्रा के पार्थिव शरीर को भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित की।

    युवाओं सेना में भर्ती होने के लिए प्रेरित करता था सूरज

  गांव के ही युवाओं ने बताया कि जब सूरज छुट्टियों में घर आता था तो वह युवाओं को सेना में भर्ती होने के लिए प्रेरित करता था। जो युवा सेना में जाने की इच्छा से तैयारी करते करते थे उनका मार्गदर्शन करता रहता था। उससे प्रेरणा लेकर गांव के ही कई युवा सेना में जाने की तैयारी भी कर रहे थे।

  सब की परवाह करने वाला था सूरज

 सूरज मिश्रा के करीबी दोस्त आदित्य वर्मा ने बताया कि सूरज शुरू से ही सबका ख्याल रखने वाला था। कोरोना कल के दौरान उसने अपनी एक माह की सैलरी दान कर दी थी। यदि उसे जानकारी मिल जाती कि किसी व्यक्ति को किसी चीज की जरूरत है तो वह हर संभव उसकी मदद करने का प्रयास करता था। मुझे भी वह सदैव समझाता ही रहता था।

   माँ के द्वारा दी गयी किडनी भी नहीं बचा सकी बेटे की।

  मां ने बताया की 4 अगस्त को ही मैंने अपने बेटे को किडनी दी थी ताकि उसकी जान बच सके परंतु उसके बाद भी वह नहीं बच सका। 9 नवंबर तक हम उसके साथ ही थे। 9 नवंबर को उसने हमें खुद ही कहा कि मां आप घर जाओ। आपको दीपावली का पूजन भी करना होगा। घर आने के बाद भी हमारी उससे बात होती रही। 11 नवंबर की शाम हमें उसकी मृत्यु की जानकारी मिली। शायद ऊपर वाले को यही मंजूर था।

    परिवार की शान था सूरज मिश्रा

 सूरज मिश्रा का एक बड़ा भाई है जिसका नाम शिवम मिश्रा है जो अपनी गाड़ी किराए पर चलाते हैं तथा एक छोटा भाई है जिसका नाम सचिन मिश्रा है जो अपने पिता के साथ खेती बाड़ी का काम संभालता है। बहन एक भी नहीं है। वह अभी तक अविवाहित था।

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