


(ओमप्रकाश ‘सुमन’)
पलिया कलां -खीरी श्रीरामलीला दशहरा मेला पलिया में आज सुग्रीव मित्रता, बाली वध ,सीता की खोज लंका दहन इत्यादि लीलाओं का सुंदर मंचन किया गया। भगवान राम से मिलने सुग्रीव गया तो भगवान राम ने श्री राम कथा सुग्रीव के वचन सुनकर बोले मुझे बताओ तुम किस कारण जंगल में रहते हो। सुग्रीव ने कहा बालि और मैं दो भाई हैं हम दोनों में ऐसी प्रीति थी इसका वर्णन नहीं किया जा सकता है। हे प्रभु मैं जब एक शत्रु था उसका नाम मायावी था एक बार हमारे नगर में आया उसने आधी रात को नगर के फाटक पर आकर पुकार लगाकर बाली को ललकारा। बालि यह सह नहीं सका उसे दौड़ाया उसे देखकर मैं भी उसके पीछे भागा मैं भी भाई के साथ चला गया वह एक पर्वत गुफा में जा घुसा ।बालि ने मुझे समझा कर कहा तुम 15 दिन तक मेरी बाट देखना और 15 दिन तक मै नहीं आता हूं तुम समझ लेना कि मैं मर गया हूं ।उस गुफा में बालि गया था वहां से रक्त की धारा वही तब सुग्रीव ने समझा की बालि को मार डाला गया है। अब आकर मुझे मारेगा। इसलिए मैं वहां गुफा के द्वार पर एक शिला लगाकर भाग आया। उसके बाद जब नगर में पहुंचा तो मंत्रियों ने बिना राजा को देखे हुए मुझे जबरदस्ती राज दे दिया और मैं लोग का राजा बन बैठा। पर जब वह बालि आया तो मुझे शत्रू के समान बहुत अधिक मारा और मेरी संपत्ति धन दौलत तथा मेरी स्त्री को भी छीन लिया। तबसे मैं लोकों में बेहाल होकर फिरता रहा। आज भी मैं मन में भयभीत रहता हूं ।राम ने कहा मैं एक ही बार से बाली को मार डालूंगा ब्रह्म और रुद्र की शरण में जाने पर भी उसके प्राण न बचेंगे। इस प्रकार सुग्रीव भगवान राम का सेवक बन गया बॉलि व सुग्रीव के बीच लड़ाई भी हुई भगवान राम ने बाली को मार दिया। इस प्रकार बाली वध समाप्त हुआ उसके बाद सीता की खोज का मंचन किया गया बाद में लंका दहन के कार्यक्रम का मंचन किया गया। हनुमान जी ने पूछ में आग लगाकर पूरी लंका को जला दिया और दूर करके और हनुमान जी सीता जी के सामने हाथ जोड़कर जा खड़े हुए और कहा कि मुझे भी कोई ऐसा चिन्ह दे दीजिए जो हम भगवान राम को दे सकें उन्होंने चूड़ामणि उतार कर हनुमान जी को दे दिया हनुमान जी उसे लेकर भगवान को पूरी कहानी बताने के लिए लंका से चले आए।