(ओमप्रकाश ‘सुमन’)
पलिया कला( खीरी )बजाज हिंदुस्थान शुगर लिमिटेड पलिया के आदिवासी जनजाति थारु क्षेत्र के ग्राम सेडा-बेडा मे गन्ना किसान गोष्ठी का आयोजन किया गया। थारू क्षेत्र के ग्राम सेडा- बेडा में चीनी मिल , गन्ना विकास परिषद पलिया द्वारा एक गन्ना किसान गोष्ठी का आयोजन किया गया।जिसकी अध्यक्षता ग्राम प्रधान श्रीमती सोमवती ने की।
गन्ना किसान संस्थान शाहजहांपुर के उपनिदेशक पी के कपिल ,वरिष्ठ गन्ना वैज्ञानिक आर डी तिवारी,डा जी एन गुप्ता, जेस्ठ गन्ना विकास निरीक्षक मिथिलेश पांडे , उप महाप्रबंधक गन्ना राजीव तोमर , सहकारी गन्ना विकास समिति के विशेष सचिव राजेश कुमार सिंह मौजूद रहे। किसानों को संबोधित करते हुए राजीव तोमर जी ने बताया कि अभी बसंत कालीन बुवाई का उत्तम समय चल रहा है ।किसान भाई गन्ना प्रजाति को0 118, को० 98014, को०,15023, को०लख० 14201, व को०शा० 13235 की बुवाई करें, उन्होंने किसानों को बताया कि को० 0238 की बुवाई कदापि ना करें साथ ही कोई भी अस्वीकृत या अपरिचित प्रजाति की बुवाई ना करें। जिस खेत में गत वर्ष लाल सड़न रोग लगा हो उसमें दोबारा गन्ना की बुआई ना करें । साथ ही गन्ना बुवाई के लिए बीज के दो आंख वाले टुकड़े काटकर 250 ग्राम या हेक्सास्टॉप दवा को 250 लीटर पानी के घोल में 10 मिनट तक उपचारित करने के उपरांत ही बुवाई करें । खेत में गन्ना बुवाई से पूर्व ट्राइकोडरमा 5किलो ग्राम प्रति एकड़ की दर से 2 से 3 कुंटल सडी गोबर की खाद में मिलाकर छायादार स्थान में फैला कर संवर्धित कर ले तथा खेत में अंतिम जुताई के समय बिखेर दें। गन्ने की बुवाई ट्रेंच विधि या दोहरी पंक्ति विधि द्वारा ही करें। डॉ० पी०के० कपिल द्वारा किसानों को गन्ना फसल में पोषक तत्वों की जानकारी देते हुए बताया कि मृदा परीक्षण के आधार पर फसल में 180 किलोग्राम नाइट्रोजन, 80 किलोग्राम फास्फोरस, 40 किलोग्राम पोटाश, व 25 किलोग्राम जिंक सल्फेट प्रयोग करें। साथ ही गोबर की खाद 150 कुंटल अवश्य प्रयोग करें । जिससे खेत की उर्वरा शक्ति बनी रहे। गोष्टी के दौरान काफी संख्या में किसान व चीनी मिल के अधिकारी मौजूद रहे।कार्यक्रम का संचालनहंसराम पाल ने की।