(ओमप्रकाश ‘सुमन’)
पलियाकलां-( खीरी )श्री रामलीला मैदान में रामलीलाओं का मंचन बहुत ही सुंदर ढंग से किया गया । भगवान राम गंगा पार करने के लिए केवट से जब नाव मांगते हैं पर वह नाव नहीं लाया वह कहने लगा कि मैंने तुम्हारे चरणों का मर्म जान लिया है तुम्हारे चरण कमल की धूल को सब लोग कहते हैं कि वह मनुष्य बना देने वाली कोई जड़ी बूटी है जिससे छोटे पत्थर को छूकर सीधे सुंदर स्त्री हो गई थी। मेरी नाव तो काठ की है काठ पत्थर से कठोर तो होता नहीं मेरी नाव भी स्त्री हो जाएगी और इस प्रकार मेरी नाव चली जाएगी मैं लुट जाऊंगा । आपका रास्ता रुक जाएगा जिससे आप पर न हो सकेंगे। और मेरी रोजी-रोटी भी चली जाएगी क्योंकि मेरे पास यही एक धंधा है मैं तो इसी नाव से सारे परिवार का पालन पोषण करता हूं ।दूसरा कोई काम नहीं है प्रभु तुम अवश्य पर जाना चाहते हो तो मुझे पहले अपने चरणों पर कमल दो लेने के लिए अनुमति दो। हे नाथ मैं चरण कमल धोकर आप लोगों को नाव पर चढ़ा लूंगा मैं आपसे कुछ उतराई नहीं चाहता हूं। तुम मुझे आपकी दुआ है दशरथ जी की सौगंध है मैं सब सच कहता हूं कि लक्ष्मण भले ही मुझे तीर मार पर जब तक मैं पैरों को धो नहीं लूंगा। तब तक मैं आपको नाव में बैठ कर पर नहीं लगाऊंगा ।भगवान राम ने कहा कि भाई केवट तुम वही करो जिससे तुम्हारा कोई नुकसान न हो जल्दी पानी लाओ मेरे पैर धो लो। देर हो रही मुझे पार उतार दीजिए। भगवान राम के पैर धोने का मंचन किया गया और इसी के साथ राम सुमंत्र का संवाद तथा चित्रकूट मगन का भी मंचन किया गया है।