(ओमप्रकाश ‘सुमन’)

पलियाकलां- (खीरी)ज्ञापनमें कहा गया है कि जनपद लखीमपुर की तहसील पलिया विगत 8 जुलाई 2024 में शारदा नदी में आई भीषण बाढ़ के चलते चारो तरफ सेे रेल मार्ग, सड़क मार्ग आदि का सभी प्रकार का आवागमन पूर्ण रूप से अवरूद्ध है। पलिया तहसील के समस्त ग्रामीण क्षेत्रो एवं पलिया कलां शहर में 3-4 फिट बाढ का पानी कई दिनो से भरा है इसके अतिरिक्त बाढ़ का पानी उपनिबंधक कार्यालय पलिया कलां में भी कई दिन तक भरा रहा जिसके चलते निबंधन कार्य बाधित हुआ। उक्त पलिया तहसील के दर्जनो गांव की कृषि भूमि एवं उनके खड़ी फसले भीषण बाढ़ के चलते पूरी तरह कटकर तबाह हो चुकी है। गौरतलब है कि तहसील पलिया एक कृषि प्रधान क्षेत्र है अधिकांश लोगो की आजीविका एवं जीवन यापन एवं शिक्षा व मांगलिक कार्यक्रम कृषिक मौसमी फसलो की उपज एवं उनके भुगतान पर निर्भर करती हैं। यहां यह भी अवगत कराना उचित होगा कि पलिया तहसील गन्ने की फसल पर निर्भर है गन्ना किसानो का भुगतान विगत कई वर्षो से नियमित रूप से नही किया जा रहा है। भीषण बाढ़ एवं गन्ना भुगतान आदि के कारणो से पलिया क्षेत्र के सभी वर्गों के नागरिको जैसे किसान, व्यापारी, उधमी, ग्रामीण आदि इन सभी का व्यवसाय व काम धन्धा पूरी तरह से चौपट है। अर्थात पूरी तरह से लोगो की आजीविका तबाह हो चुकी है एवं पलिया क्षेत्र के बाशिंदे यहा से पलायन करने का मन बना रहे है। ऐसे आर्थिक असंतुलन व प्राकृतिक विषमता से भरे तहसील पलिया के क्षेत्र के लिए नई मूल्यांकन सूची की दरो में किसी भी प्रकार की कोई वृद्धि किया जाना न्यायहित में उचित नही होगा।

अतः श्रीमान जी से विनम्र निवेदन है कि बाढ की विभीषिका को देखते हुए व्यापक जनहित में उपनिबंधक कार्यालय पलिया कलां में नई मूल्यांकन सूची की दरो में किसी भी प्रकार की कोई बढ़ोत्तरी न किये जाने की कृपा की जाये।
ज्ञापन देने वालों में पलिया बार एशोसिएशन पलिया-खीरी के अध्यक्ष श्रीश द्विवेदी, महामंत्री अरुण अवस्थी, पूर्व अध्यक्ष मधुसदन तिवारी, पूर्व अध्यक्ष रविंद्र शर्मा, पूर्व महामंत्री अमित महाजन,पूर्व महामंत्री फजल अहमद खान, उपाध्यक्ष राजाराम वर्मा,पूर्व कोषाध्यक्ष संजय राठौर, पूर्व संयुक्त मंत्री रविकांत दिनकर, कोषाध्यक्ष उपेंद्र राणा, कमाल इदरीशी, कमलेश कुमार अखिलेश कुमार राणा, वसीम अहमद सहित अनेकों अधिवक्तागण उपस्थित रहे।
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