(ओमप्रकाश ‘सुमन’)
आया पावन पर्व हमारा,
नूतन वर्ष मनायें,
चलें साथ सब नव विकास पथ,
सुख-समृद्धि घर लायें।
सुख-समृद्धि घर लायें।
फसलें झूम रहीं खेतों में ,
अनुपम छटा निराली ,
बौराया हर बाग-बगीचा,
मलय सुरभि मतवाली।
रोम-रोम में नवल चेतना,
गीत खुशी के गायें।
आया पावन पर्व हमारा,
नूतन वर्ष मनायें।1।
पुलकित मन उल्लास नया है,
अभी-अभी मधुमास गया है,
खग-कुल कलरव डाल-डाल पर,
कोंपल मधुर पराग नया है।
बहॅके कदमों से चल कर के,
नई खुशी घर लायें।
आया पावन पर्व हमारा,
नूतन वर्ष मनायें।2।
क्षिति-जल-अम्बर झूम रहे हैं,
रश्मि-रथी-पथ घूम रहे हैं,
सुखदाई ऋतु का परिवर्तन,
भ्रमर कली को चूम रहे हैं।
नवल चेतना दिग्दिगंत में,
आओ हम बिखरायें।
आया पावन पर्व हमारा,
नूतन वर्ष मनायें।3।
घर-घर पूजन हवन करें सब,
तोरण-द्वार सजा लेते हैं,
संस्कार,संस्कृति में रहकर,
मानव-धर्म निभा लेते हैं।
ताशा,ढ़ोल,मंजीरा बाजे,
जन-जन मन हरषायें।
आया पावन पर्व हमारा,
नूतन वर्ष मनायें।4।