(ओमप्रकाश ‘सुमन’)

पलिया कलां  (खीरी )  होली के शुभ अवसर पर नगर की प्रमुख धार्मिक संस्था आध्यात्मिक श्रीकुल सेवा संस्थान में काव्य संध्या का आयोजन किया गया। जिसमें वरिष्ठ अधिवक्ता गगन मिश्रा एवं वरिष्ठ कवियों ने दीप प्रज्वलित कर मां  वीणापाणि पर पुष्पमालाएं अर्पित कीं। इसके पश्चात नगर के प्रमुख कवि नीरज मिश्रा ने सस्वर सरस्वती वंदना करते हुए पढ़ा-

  “मां बीणा वरदायनी, लगी आपसे आस, हंसवाहिनी शारदे ,  चलें सत्य की राह।”

       कवि सुखराज सिंह ने होली के मौके पर श्रोताओं को गांव की ओर ले जाते हुए 

कहा-

  “गांव की गलियों में अभी मिट्टी की महक बाकी है।

घोंसले चिड़ियों के हैं बुलबुल की चहक बाकी है।”

  आए दिन महिलाओं के साथ घटित हो रही घटनाओं को लक्ष्य कर मनोज त्रिवेदी ने इस मौके पर अपनी बात कुछ इस प्रकार कही-

“आज फिर एक महिला उन हैवानों के आगे चिल्लाई होगी।

 तुम्हारे घर में भी बहनें हैं ,यह याद दिलाई होगी।”

   कवि अंकुर सिंह ने व्यवस्था पर चोट करते हुए कहा कि –

  “कुछ रह गया तो कुछ आया भी होगा उनके हिस्से।

चाहे अमृत हो या जहर,आया जरूर होगा उनके हिस्से।”

   कवि पवन मिश्रा ने अपनी ओजस्वी वाणी में जब निम्न पंक्तियां  ऊंचे स्वर से

पढ़ीं, तो श्रोताओं ने उन्हें एक बार पुनः कह कर दोबारा पढ़ने को विवश किया-

  “जिनको तिरंगा स्वीकार नहीं है,जिनको इस धरा से प्यार नहीं है ।साफ कहता हूं ऐसे देशद्रोहियों को,भारत में रहने का अधिकार नहीं है।”

   कवि विकास दीक्षित ने इस मौके पर कुछ कड़वी सच्चाई को उजागर करते हुए कहा-

“पुलिस उसे ही पकड़ कर, ले गई अपने साथ।

आग बुझाते जले थे , जिसके दोनों हाथ।”

   कवि यूपी दीक्षित ने अपनी कई सशक्त रचनाएं पढ़ने के बाद कहा-

“रामलला तो आ गए श्याम अभी हैं शेष।”

   नगर के वरिष्ठ कवि ओमप्रकाश ‘सुमन’ ने इस मौके पर पढ़ा-

 “अंधेरा छटते ही उजाला हो जाएगा, सभी जगह फिर से भगवा लहराएगा।

न दौड़ो, न भागो न करो कोई चिंता,2024 में फिर से मोदी ही आएगा ।”

   कवि गोष्ठी की अंत में अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ कवि रामचंद्र शुक्ल ने अपनी कई चर्चित रचनाएं पढ़ने के बाद कहा-

“देश और प्रदेश में होते हैं चुनाव जब, दंगा – फसाद ,मारपीट बढ़ जाती है।”

   कार्यक्रम के समापन पर श्रीकुल सेवा संस्थान के संस्थापक आचार्य गोविंद माधव मिश्र ने सभी कवियों को व  कार्यक्रम संचालक विश्व कांत त्रिपाठी को प्रशस्ति पत्र दे सम्मानित किया। कार्यक्रम का संचालन विश्वकांत त्रिपाठी ने कुशलतापूर्वक किया। इस मौके पर शांति स्वरूप शुक्ला, उमाशंकर मिश्रा, विजय बाजपेई एड., आशीष अग्निहोत्री, सुनील गुप्ता, रामू वर्मा, धनेंद्र शुक्ला, सोमेश मिश्रा,शेरा वर्मा,राम वर्मा , आकाश कश्यप मनोज मिश्रा सहित बड़ी संख्या में श्रोता देररात तक विभिन्न रसीली कविताओं से सराबोर होते रहे।

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