(ओमप्रकाश ‘सुमन’)

पलियाकलां-खीरी लखीमपुर 16 दिसंबर। शनिवार को विजय दिवस के अवसर पर वर्ष 1971 में कर्तव्य के दौरान शहीद हुए सैनिकों के सम्मान में जिला विद्यालय निरीक्षक लखीमपुर खीरी कार्यालय परिसर में नवनिर्मित स्मारक का लोकार्पण डीएम महेंद्र बहादुर सिंह ने डीआईओएस डॉ महेंद्र प्रताप सिंह की मौजूदगी में अनावरण कर राष्ट्र को समर्पित किया। इसके बाद स्मारक पर पुष्पचक्र अर्पित कर अपने श्रद्धासुमन अर्पित किए। इससे पूर्व एनसीसी कैडेटस ने डीएम को गार्ड आफ ऑनर दिया।

डीएम महेंद्र बहादुर सिंह ने इस स्मारक पर स्थापित आग्नेयास्त्र का निर्माण करने वाले प्रसिद्ध मूर्तिकार बदायूँ निवासी जमाल अख्तर को शाल उढ़ाकर एवं स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। डीएम महेंद्र बहादुर सिंह ने कहा कि पूरे जिले की ओर से, मैं 1971 के युद्ध के योद्धाओं को सलाम करता हूं।” नागरिकों को उन बहादुर योद्धाओं पर गर्व है। जिन्होंने वीरता की अद्वितीय कहानियाँ लिखीं। सैनिकों के शौर्य समर्पण के कारण आज हमारी सेना दुनिया की सबसे ताकतवर सेनाओं में से एक है। दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में भारतीय सैनिकों ने अपने शौर्य और समर्पण से जो परम्‍परा स्‍थापित की है, वह परम्‍परा अतुलनीय है।

डीआईओएस डॉ महेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि16 दिसम्बर 1971 को पाकिस्तान के 93000 सैनिकों ने पाकिस्तान पूर्वी कमान्ड के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल ए०के० नियाजी के नेतृत्व में भारतीय सेना जिसका नेतृत्व भारत के लेफ्टिनेंट जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा कर रहे थे, के समक्ष हथियार डालकर समर्पण कर दिया गया था। यह विश्व के इतिहास में सबसे बड़ा सैन्य आत्मसमर्पण था। पूर्वी पाकिस्तान बांग्लादेश के रूप में उभरकर विश्व के मानचित्र पर आया और 16 दिसम्बर 1971 को भारत तथा बांग्लादेश दोनों देशों में विजय दिवस के रूप में मनाया जाने लगा। इस अवसर पर जिला विद्यालय निरीक्षक डा महेन्द्र प्रताप सिंह ने सभी आगन्तुकों का धन्यवाद ज्ञापित किया। इस दौरान जिले के विभिन्न विद्यालयों के प्रधानाचार्य गण मौजूद रहे।

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