।।शारदा नदी का स्थलीय निरीक्षण करते हुए सेवानिवृत्त मुख्य जज ए.आर. मसूदी।।
(ओमप्रकाश ‘सुमन’)
पलिया कलां (खीरी)जनपद पीलीभीत एवं लखीमपुर खीरी की कई तहसीलों में शारदा नदी में नेपाल से आने वाली नदियों का प्राकृतिक प्रवाह नेपाल द्वारा बदले जाने से शारदा नदी में अत्यधिक जल बनबसा बैराज से छोड़े जाने वाले डिस्चार्ज में डाउन स्ट्रीम में मिल जाने से बाढ़ ने विकराल रूप लिया। जिससे कृषि भूमि, वन भूमि आबादी लोक मार्ग तथा सरकारी व गैर सरकारी सम्पत्तियां अनवरत मानसून अवधि में नष्ट होती चली गयी।बाढ़ मण्डल / सिचाई विभाग ने बाढ़ की समस्या के स्थाई समाधान के लिये लोक हित में कोई अपेक्षित सर्वे न करके हमेशा अस्थाई समाधान का स्पर/ ठोकर, ड्रेजिंग, चैनलाइजेशन परक्यूपाइन आदि कार्य कराये गये जिससे कोई लाभ नही हुआ । हर वर्ष प्रायः रेल यातायात भी बुरी तरह प्रभावित हुआ बाढ़ की समस्या के स्थाई समाधान हेतु मा. उच्च न्यायालय खण्ड पीठ लखनऊ में माह जनवरी 2025 में एक जनहित याचिका विस्तृत तथ्यों के साथ राजेश भारतीय एडवोकेट ने दायर की थी। जिसमें चार सप्ताह में भारत सरकार व उत्तर प्रदेश सरकार को जवाब दाखिल करने का आदेश 15 जनवरी 2025 को माननीय उच्च न्यायालय द्वारा दिया गया था। इसके बाद सिचाई विभाग / बाढ मण्डल ने शारदा नदी में ड्रेजिंग व चैनलाइजेशन की कार्य योजना बनाकर शासन से स्वीकृत कराकर 3 अप्रैल 2025 को कार्य का विधिवत शुभारम्भ, कराया। जो सही सर्वे न होने से बनाई गयी योजना में जनहित में लाभकारी साबित नही हुयी और नदी ने अपना बहाव कांप टाण्डा उत्तरी / झादी ताल की और कर लिया है तथा नदी करीब 8 किमी रेलवे लाइन के समीप बहती हुयी ग्राम दौलता पुर में कटान करने लगी थी जिससे रेल यातायात बन्द हुआ । सिचाई विभाग द्वारा-न्यायालय में शपथ पत्र दाखिल करके याचिका का विरोध किया गया है । तथा चैनलाइजेशन व ड्रेजिंग की योजना को सफल होना बताया गया है। जिसके विरोध में याचिका कर्ता द्वारा जवाबी हलफनामा दायर करके प्रतिवाद किया गया है। दिनाँक 25-12-2025 को मा० उच्च न्यायालय खण्ड पीठ के( से०नि०) मुख्य जज ए. आर. मसूदी को याचिका कर्ता ने स्थलीय निरीक्षण कराया तथा उन्होंने मा. कोर्ट से जांच आयोग किसी न्यायधीश की अध्यक्षता में करने की मांग रखी है। श्री मसूदी ने मली-भाति नदी पर निरीक्षण करके मामले को समझा।