(ओमप्रकाश ‘सुमन’)
पलियाकलां-( खीरी)खंभारखेडा खीरी उत्तर प्रदेश गन्ना शोध परिषद शाहजहांपुर के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ0 सुजीत प्रताप सिंह (पादप एवं कीट रोग विशेषज्ञ) डॉ अरविंद सिंह, डॉ नीलम सिंह द्वारा खंभारखेड़ा चीनी मिल क्षेत्र के ग्रामों मकसोहा, दुअन्नी , कोड़ीरी, राजपुर, धनीरामपुरवा,कोठिया , चमेली, सांडा पिपरामरोडा एवं सैदापुर इत्यादि में प्रगतिशील कृषक भारत वर्मा,रामसिंह किशोरीलाल अवस्थी,नेतराम वर्मा सांडा फार्म श्रवण सिंह संजय शुक्ल सहित अनेको कृषकों के खेतों का भ्रमण कर क्षेत्र में गन्ने में लगने वाले कीट तथा रोग की पहचान एवं निदान के बारे में कृषकों को विस्तार से बताया।तथा प्रगतिशील कृषक अशोक वर्मा और संजय शुक्ला के फार्म पर एक कृषक गोश्ठी का आयोजन कर कीट तथा बीमारियों के सम्बन्ध में डॉ सिंह ने कृषको को चोटी बेधक कीट से बचाव हेतु यांत्रिक नियंत्रण के अंतर्गत प्रभावित पौधों को यथा शीघ्र काटकर नष्ट करने तथा कोराजन/सुपर सिक्सर की ड्रेंचिंग करने की सलाह दी व लग रहे पोक्का बोइंग रोग के निदान हेतु कॉपर ऑक्सीक्लोराइड या अन्य फफूँद नाशक(प्रिज्म) का पर्णीय छिड़काव करने की सलाह दी, गन्ना प्रजाति को० 0238 के खेत को भी देखा गया परन्तु अभी कहीं कोई लाल सड़न रोग के लक्षण नहीं पाया गया। लाल सड़न रोग के प्राथमिक संक्रमण के लक्षण पत्तियों के मध्य सिरा पर लाल धब्बे के रूप में दिखाई देते है, इसकी रोकथाम हेतु संक्रमित पौधे को शीघ्र जड़ सहित निकाल कर नष्ट कर दे तथा उस जगह की मिट्टी में ब्लीचिंग पाउडर डालने या प्रिज्म की ड्रेंचिंग करने की सलाह दी साथ ही सिचाई पर ट्राइकोडर्मा प्रयोग करने की सलाह दी, इसके अतिरिक्त चूषक कीट ब्लैक बग (काला चिकटा) की पहचान काले चीटे जैसे होते है तथा पृष्ठ भाग पर सफेद धब्बे पाए जाते है इसके लक्षण गन्ने की गोफ वाली पत्तियों में प्रतीत होते है व थ्रिप्स का छिटपुट प्रकोप देखा गया, इसके लक्षण गन्ने की गोफ वाली पत्तियों के अग्र भाग नुकीले भाला के समान दिखाई देते हैं।