(ओमप्रकाश ‘सुमन’)
पलियाकलां- खीरी 10मार्च, लखीमपुर। भारतीय वैदिक परंपरा में होली पर्व का सबसे प्राचीन स्वरूप वासंती नवसस्येष्टि पर्व अर्थात नई फसल के घर आगमन से पूर्व किए जाने वाले सामूहिक यज्ञ के रूप में मिलता है। गायत्री परिवार युवा प्रकोष्ठ उसी प्राचीन वैदिक परंपरा का अनुसरण करते हुए होलिका दहन को नवसस्येष्टि यज्ञ के रूप में मनाएगा। यह आयोजन इकोफ्रेंडली स्वरूप में होगा क्योंकि इसमें काष्ठ (लकड़ी) का प्रयोग नहीं किया जाएगा। लकड़ी के स्थान पर गाय के गोबर से बने उपलों (कंडों) से होलिका बनाई जाएगी जिससे पर्यावरण संकट के इस युग में वन्य संपदा के संरक्षण का भाव जागेगा। वहीं होलिका के लिए गाय के के गोबर के उपलों की मांग से गोपालकों की आय भी बढ़ेगी जिससे गौसंवर्धन अभियान को बल मिलेगा।सनातन धर्म में गाय के गोबर के उपलों की उष्मा सात्विक ऊर्जा से युक्त मानी जाती है इसलिए भी गाय के उपलों की होलिका उपयोगी है। इस सामूहिक नवसस्येष्टि यज्ञ (वैदिक होलिका) में शामिल लोग हवन सामग्री, कपूर, लौंग इलायची आदि पदार्थों की आहुतियाँ भी देंगे जिससे वायु सुगंधित और स्वच्छ होगी। होलिका में भूनने के लिए नवान्न (गेहूँ, जौं आदि की बालियाँ) और हवन सामग्री की व्यवस्था गायत्री शक्तिपीठ की ओर से की जाएगी। विदित है युवा प्रकोष्ठ द्वारा विगत वर्षों से वैदिक होलिका दहन की परंपरा शुरू की गई है जिसे समाज के विभिन्न वर्गों द्वारा सराहा गया है। इस आयोजन में विभिन्न धार्मिक और सामाजिक संगठनों के लोग भगा लेंगे। सामाजिक कार्यकर्ता डॉ० डी के वर्मा, संदीप अग्रवाल, डॉ० डी एन मालपानी, युवा प्रकोष्ठ के अजय वर्मा, शैलेश बरनवाल, प्रिंस रंजन बरनवाल, शुभम गुप्ता, कुलदीप वर्मा, यज्ञदेव वर्मा सहित गायत्री परिवार के कार्यकर्ता वैदिक होलिका की तैयारी में जुटे हुए हैं। गायत्री शक्तिपीठ लखीमपुर के उदय सिंह ने इकोफ्रेंडली वैदिक होलिका दहन में शामिल होने के लिए भावभरा आवाहन किया है।