(ओमप्रकाश ‘सुमन’)
पलियाकलां- खीरी विवेकानन्द शिशु कुञ्ज सीनियर सेकेण्ड्री स्कूल एनटीपीसी टाण्डा अम्बेडकर नगर में दिनांक 11/02/2025 को संत रविदास जयंती एवं पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी की पुण्यतिथि हर्षोल्लास पूर्वक मनाई गई। वंदना सभा में विद्यालय के यशस्वी प्रधानाचार्य वीरेन्द्र कुमार वर्मा जी ने भैया बहनों को संबोधित करते हुए कहा कि
पंडित दीनदयाल उपाध्याय का जन्म 25 सितंबर 1916 को मथुरा जिले के नगला चंद्रभान गांव में हुआ था।
उनके पिता का नाम भगवती प्रसाद उपाध्याय और माता का नाम रामप्यारी था।
उनके पिता रेलवे में सहायक स्टेशन मास्टर थे और माता धार्मिक प्रवृत्ति की थीं।
दीनदयाल 3 वर्ष के भी नहीं हुए थे, कि उनके पिता का देहांत हो गया और उनके 7 वर्ष की उम्र में मां रामप्यारी का भी निधन हो गया था।
अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संपर्क में आएं, आजीवन संघ के प्रचारक रहे।
21 अक्टूबर 1951 को डॉ. श्यामाप्रसाद मुखर्जी की अध्यक्षता में ‘भारतीय जनसंघ’ की स्थापना हुई।
1952 में इसका प्रथम अधिवेशन कानपुर में हुआ और दीनदयाल उपाध्याय जी इस दल के महामंत्री बने तथा 1967 तक वे भारतीय जनसंघ के महामंत्री रहे।
अंत्योदय का नारा देने वाले दीनदयाल उपाध्याय का कहना था कि अगर हम एकता चाहते हैं, तो हमें भारतीय राष्ट्रवाद को समझना होगा, जो हिंदू राष्ट्रवाद है और भारतीय संस्कृति हिन्दू संस्कृति है।
पं. दीनदयाल उपाध्याय ने अपनी परंपराओं और जड़ों से जुड़े रहने के बावजूद समाज और राष्ट्र के लिए उपयोगी नवीन विचारों का सदैव स्वागत किया।
उपाध्याय जी का कहना था कि भारत की जड़ों से जुड़ी राजनीति, अर्थनीति और समाज नीति ही देश के भाग्य को बदलने का सामर्थ्य रखती है। कोई भी देश अपनी जड़ों से कटकर विकास नहीं कर सका है।
सन् 1967 में कालीकट अधिवेशन में उपाध्याय जी भारतीय जनसंघ के अध्यक्ष पद पर निर्वाचित हुए और मात्र 43 दिन बाद ही 10/11 फरवरी 1968 की रात्रि में मुगलसराय स्टेशन पर उनकी हत्या कर दी गई और इस सूचना से पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई।
सन्त रविदास जयन्ती हर साल माघ पूर्णिमा पर मनाई जाती है। रविदास जी ने लिखा है रविदास जी को मीरा बाई ने अपना गुरु माना, उनके आमन्त्रण पर सभी सन्तो ने रविदास जी को अपमानित करने का प्रयास किया। तब रविदास जी अलग ही बैठे तो अन्य सन्तो को अपने आस पास रविदास जी ही दिखे तो सभी सन्तो ने रविदास जी से माफी माँगी।* इस साल रविदास जयन्ती 12 फरवरी को है। रविदास जी की मन चङ्गा तो कठौती में गङ्गा वाली कहानी विस्तार से सुनाई। ये भक्ति आन्दोलन के प्रसिद्ध सन्त थे। उनका विश्वास था कि राम, कृष्ण, हरि, राघव आदि सब एक ही परमेश्वर के विविध नाम हैं। इस अवसर पर विद्यालय के सभी आचार्य, आचार्या बहनें एवं भैया बहन उपस्थित रहे।