(ओमप्रकाश ‘सुमन’)

पलियाकलां- खीरी खंभारखेडा (खीरी) बजाज हिन्दुस्थान शुगर लिमिटेड चीनी मिल खम्भारखेड़ा के परिक्षेत्र के ग्राम कोपा में गन्ना कृषकों की गन्ना कृषि लागत को कम करते हुये गन्ना उपज में वृद्धि कर कृषकों की आमदनी को दोगुना करने के उद्देश्य से एक कृषक प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कृषक प्रशिक्षण में उत्तर प्रदेश गन्ना शोध परिषद शाहजहॉपुर के डा0 सुनील विश्वकर्मा कीट एवं रोग विशेषज्ञ एवं डा0 सरनाम सिंह सस्य विशेषज्ञ, ज्येष्ठ गन्ना विकास निरीक्षक खम्भारखेड़ा सुरेश कुमार चौधरी, प्रमोद वर्मा उपाध्यक्ष गन्ना समिति लखीमपुर तथा चीनी मिल खम्भारखेड़ा के महाप्रबन्धक (गन्ना) पुष्पेन्द्र ढाका, सहायक महाप्रबन्धक (गन्ना) राजेन्द्र सिंह, उपप्रबन्धक (गन्ना) कमल कुमार सहित दर्जनों किसान मौजूद रहे।
वैज्ञानिकों द्वारा किसानों को गन्ने की स्वीकृत किस्मों, बीज का उपचार (थायोफिनिट मिथाइल द्वारा) एवं भूमि उपचार (ट्राइकोडर्मा द्वारा), गन्ना उत्पादन तकनीक, सिंगल बड तकनीक द्वारा गन्ना पौध तैयार करने, शरदकालीन गन्ना बुवाई, ट्रेंच विधि, कार्बनिक खाद, रासायनिक उर्वरकों का संतुलित प्रयोग, गन्ना खेती के साथ सहफसली खेती से लाभ, पेड़ी गन्ना प्रबन्धन आदि विषयों पर विस्तृत जानकारी प्रदान की गयी।
उत्तर प्रदेश गन्ना शोध परिषद शाहजहांपुर से आये वैज्ञानिको ने प्रति इकाई गन्ना उत्पादन बढ़ाने हेतु कृषकों से प्रजाति का सही चुनाव, गन्ने की लाइन से लाइन दूरी कम से कम 4 फिट रखने तथा मृदा परीक्षण के आधार पर उर्वरकों के प्रयोग करने की सलाह दी तथा वैज्ञानिक तकनीकी अपनाने पर जोर दिया इसके अतिरिक्त कृषकों को गन्ने की फसल पर लगने वाले कीट एवं बीमारियों के बारे में विस्तृत रूप से बताया गया।
वैज्ञानिकों द्वारा ग्राम कोपा के कृषक महबूब अली पुत्र काशिम द्वारा गन्ना प्रजाति को.लख. 14201 एवं को.0118 के माध्यम से की जा रही बुवाई का भी निरीक्षण किया तथा उपस्थित किसानों को बताया गया कि किसी भी दशा में प्रतिबन्धित प्रजातियों अथवा अस्वीकृत एवं अन्य राज्यों की विकसित प्रतिबन्धित प्रजातियो की बुवाई कदापि ना करें। गन्ना बीज के गुणवत्ता, प्रजातिय शुद्धता एवं गन्ना प्रजाति के लम्बे जीवनकाल को बनाये रखने हेतु प्रत्येक कृषक प्रत्येक वर्ष अपने बोये जाने वाले पौधा गन्ना क्षेत्रफल के दसवें भाग में स्वयं का नर्सरी लगावें, गन्ना बुवाई से पूर्व बीज को फंफूदीनाशक एवं कीटनाशक से पूरी रात पानी के घोल में शोधित करके खेत को ट्राइकोडर्मा से शोधित करने के उपरान्त ही एवं ऑख के टुकडे़ की बुवाई करें।

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