पलिया कलां (खीरी) – पलिया कलां के निवासियो आप सभी को मेरा सादर प्रणाम। मेरा आप सभी से निवेदन है कि हमारा सभी का भविष्य खतरे मे है। आप सभी को पता ही होगा कि किसी भी समय भीरा से लेकर दुधवा तक नदी चल चुकी है, अगर अब भी हम लोग नही चेते तो वह दिन दूर नही जब लोग कहा करेँगे कि यहाँ पलिया शहर बसता था। अगर हम लोग चाहे तो पलिया को बचा सकते हैं। अगर हम लोग जात पात बिरादरी पार्टी बाजी छोड कर एक हो जायें तो पलिया को बचाया जा सकता है।.
नही तो जिन जमीनों प्लांटों, कोठियों की कीमत करोडो मे जोड़ कर फूले नही समा रहे पानी मे बह जायेगी। खनन बुरा नही है बस सही जगह से हो। जिस दिन हम एक हो गये नदियो की सफाई भी हो जायेगी और सडके भी ऊंची होकर नीचे से पानी के निकास भी बन जायेगे। बस जरूरत है एक होने की। हम लोग पलिया बचायो के नाम से एक कमेटी बनायें और हमारा एक ही नारा हो कि पानी का निकास नही तो कोई बोट नही. अगर मेरी बात से किसी को ठेस पहुंची हो तो माफी चाहता हूं। पलिया का साधारण निवासी शेर सिँह सेखों ।