पलिया कलां (खीरी) युवराज दत्त स्नातकोत्तर महाविद्यालय, लखीमपुर-खीरी में आज दिनाँक 20.11.2025 को विश्व दर्शन दिवस हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। इस अवसर पर दर्शनशास्त्र विभाग द्वारा ‘दर्शनशास्त्र और भविष्य’ विषय पर सगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी का शुभारम्भ प्राचार्य प्रो० हेमन्त पाल एवं दर्शनशास्त्र विभागाध्यक्ष प्रो० सुभाष चन्द्रा द्वारा माँ सरस्वती एवं राजा युवराज दत्त सिंह जी के चित्र पर माल्यापर्ण व द्वीप प्रज्जवलन कर किया। संगोष्ठी में विषय प्रवर्तन करते हुए दर्शनशास्त्र विभागाध्यक्ष प्रो० सुभाष चन्द्रा ने बताया कि दुनियाभर में प्रत्येक वर्ष नवम्बर माह के तृतीय गुरुवार को विश्व दर्शन दिवस ऐसे सभी दार्शनिक, वैज्ञानिक, चिन्तक और लोक नायकों के सम्मान में मनाया जाता है, जिन्होंने सम्पूर्ण विश्व के लोगों को स्वतंत्र विचारों के लिए प्रेरित किया। विश्व दर्शन दिवस का उद्देश्य स्वतंत्र एवं नवीन वैचारिकी के साथ-साथ मौलिक समस्याओं एवं सामासिक चुनौतियों के समाधान तथा लोक कल्याण के लिए चिन्तन को बढ़ावा देना है। दर्शन सार्वभौमिक अभिव्यक्ति है, जिसके मूल में लोक कल्याण निहित है। दर्शन ने ही सत्यम्, शिवम् सुन्दरम् का समन्वय करते हुए न्याय, प्रेम व बंधुता की भावना को सम्भव बनाया है। लेकिन आज जब दर्शन की सबसे अधिक आवश्यकता है तब उसके प्रति व्यापक उपेक्षा देखने को मिलती है। यद्यपि बेहतर भविष्य व अपने आसपास की दुनिया को समझने एवं एक नये प्रकार के बौद्धिक वातावरण के निर्माण के लिए आज दर्शन की सबसे अधिक आवश्यकता है। शोधार्थी राहुल गुप्ता ने बताया कि दर्शन जीवन के अनुभवों को समझने एवं मौलिक समस्याओं का समाधान करने का प्रयत्न है। बी.एड. विभागाध्यक्ष प्रो० विशाल द्विवेदी ने कहा कि दर्शन मानवीय स्वभाव का विवेचन कर जीवन के उच्च आदर्शों तक पहुँचने के लिए पृष्ठभूमि तैयार करता है। योग साधना इसमें सहायक होती है। संगोष्ठी में प्रो० नीलम त्रिवेदी ने दर्शन की उपादेयता को यूरोपीय संदर्भों के माध्यम से बताया कि दर्शन सकारात्मक चिंतन है जिससे अनुप्राणित होकर मनुष्य अपनी शक्ति को नवनिर्माण में लगाता है। दर्शन ज्ञान के प्रति प्रेम है। संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो० हेमन्त पाल ने विश्व दर्शन दिवस के अवसर पर सभी को हार्दिक बधाई दी और अध्यक्षीय सम्बोधन में कहा कि दर्शन एक ऐसा विषय है जो हमें जीवन के मूलभूत प्रश्नों के उत्तर खोजने में मदद करता है। यह हमें अपने आसपास की दुनिया को समझने में मदद करता है और हमें नैतिकता तथा मानवीय मूल्यों के महत्व को समझने में मदद करता है। उन्होंने आग्रह किया कि आप दर्शन के महत्व को समझें और इसके बारे में अधिक जानें। दर्शन न केवल हमें ज्ञान प्रदान करता है, बल्कि यह हमें एक बेहतर इंसान भी बनाता है। विद्यार्थी दार्शनिक दृष्टिकोण अपनाकर अपनी बैद्धिक क्षमता को विकसित करते हुए सफल नागरिक बने और राष्ट्र निर्माण में आगे आये। कार्यक्रम के अंत में प्राचार्य प्रो हेमंत पाल एवं प्रो सुभाष चन्द्रा ने दर्शनशस्त्र विभाग की पूर्व छात्रा अमरुन निशा को समाज सेवा के क्षेत्र में नवीन वैचारिकी के साथ उत्कृष्ट कार्य करने के लिए सम्मानित किया साथ ही दर्शनशास्त्र विभाग की छात्रा दिव्या सिन्हा को लखनऊ विश्वविद्यालय लखनऊ की परास्नातक परीक्षा में सर्वोच्च अंक प्राप्त करने पर सम्मानित किया। छात्रा दिव्या सिन्हा की अविभावक माता श्रीमती शिल्पी सिन्हा को ‘सराहनीय नागरिक दायित्वबोध के लिए सम्मानित किया। विदित हो कि उन्होंने विषम परिस्थितियों के वावजूद अपने बच्चों को उच्च शिक्षा के क्षेत्र में कार्य करने के लिए प्रेरित किया। कार्यक्रम का संयोजन एवं संचालन प्रो० सुभाष चन्द्रा ने किया। इस अवसर पर महाविद्यालय के शिक्षक डा० आर०पी०एस०तोमर, प्रो० नूतन सिंह, प्रो० एस०के० पाण्डेय, प्रो० ज्योति पन्त, डॉ इष्ट विभु, डा० मनोज कुमार, डॉ ओ.पी. सिंह, डॉ मानवेन्द्र यादव, डॉ श्वेतांक भारद्वाज, सौरभ वर्मा, दीपक बाजपेई, डॉ ब्रजेश शुक्ला, विनयतोष गौतम, रचित कुमार, सतेन्द्र पाल सिंह, डॉ अजय वर्मा, योगेश दुबे सहित बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं उपस्थित रहें।