(ओमप्रकाश ‘सुमन’)

पलियाकलां(खीरी) जिला पंचायत बालिका इंटर कालेज में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंसी पर एक विचार संगोष्ठी का आयोजन किया गया।इस अवसर पर प्रधानाचार्य कृष्ण अवतार भाटी ने कहा कि आर्टिफीशियल इंटेलीजेंसी आधुनिक युग का अद्भुत अध्याय है।लेकिन भारत में यह विधा त्रेता व द्वापर युग में शिखर पर थी।भगवान राम लंका विजय के बाद जिसे पुष्पक चालक रहित विमान से अयोध्या लौटे थे,जिस सुदर्शन चक्र से भगवान कृष्ण इच्छित लक्ष्य आसानी से भेद देते थे,ऐसे पुष्पक विमान व सुदर्शन चक्र इस विधा की खोज थे।समय बदला,हम लंबे समय तक गुलामी के ताले में बंद हो गये, हमारी बुद्धिमता कुंठित हो गई।19वीं शताब्दी में इस शब्द पर 1950 में इंग्लैंड में गणितज्ञ व तर्कशास्त्री एलन ट्यूरिंग ने कम्प्यूटिंग मशीनरी और इंटेलीजेंशी पर एक शोधपत्र के द्वारा यह बताया कि मशीन भी मानव की तरह सोच सकती है।1956 में जान मैकार्थी ने इसे नया आयाम दिया।1980 में माईसीन विशिष्ट डोमेन सिस्टम ने इसे ऊंचाइयों पर पहुंचा दिया।नोडल अधिकारी आकृति गुप्ता ने कहा कि 2010 में डीप लर्निंग के एक उपसमूह ने मानव मस्तिष्क की नकल करने वाली न्यूराल नेटवर्क की खोज ने एक क्रांति का काम किया है।विज्ञान शिक्षिका माया वर्मा ने कहा कि आज इस पद्धति के द्वारा परिवहन, चिकित्सा, कृषि व बैंकिग के क्षेत्रों में अप्रत्याशित सफलताएं मिली हैं।जिससे मानव जीवन सुलभ व सुगम हुआ है।लेकिन हमें इसके साथ साथ अपने बुद्धि कौशल का भी समयानुसार उपयोग अवश्य करते रहना चाहिए।इस अवसर पर एक भाषण प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया,जिसमें उज्मा फराज, अर्पिता मौर्य व भूमिका मौर्य ने क्रमश प्रथम व द्वितीय स्थान प्राप्त किये।जिन्हें सम्मानित करवाया गया।

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